अक्सर मैं ग़ुस्सा रहता हूँ,
बेवजह ना जाने किससे ख़फ़ा
किससे रूठा रहता हूँ ।
माथे पर शिकन
आँखें दबाए, मुँह फुलाए
छोटी छोटी बातों में अपनों को सुना कर
कई घंटों तक
चिड़चिड़ा रहता हूँ !
अक्सर मैं ग़ुस्सा रहता हूँ,
बेवजह ना जाने किससे ख़फ़ा
किससे रूठा रहता हूँ ।