अब तो परवाने को शमा भी नहीं मिलती खुद को राख बनाने को ,
बल्ब के शीशे से टकराता है लौ से मिल जाने को |
सरगोशी - कान में चुपके से कुछ कहना
आगोश में - बाहों में
आगाज़ - शुरुआत
शब्द की अराबी - शब्दों के मालिक ( बेहतरीन शब्द )
अब्र - आसमान
आफताबी - सूरज की रोशनी