शमा नहीं मिलती परवाने को ..

अब तो परवाने को शमा भी नहीं मिलती खुद को राख बनाने को ,
बल्ब के शीशे से टकराता है लौ से मिल जाने को |


शायरी लिखने को एक महजबीं चाहिए ,


  • सरगोशी - कान में चुपके से कुछ कहना
    आगोश में - बाहों में
    आगाज़ - शुरुआत
    शब्द की अराबी - शब्दों के मालिक ( बेहतरीन शब्द )
    अब्र - आसमान
    आफताबी - सूरज की रोशनी