एक घटिया पैंतरा

किसी अज्ञात महापुरुष ने कहा था

 " जब आप किसी की नीतियों को कमजोर नहीं कर पाओ ,
             तो उस नीति बनाने वाले  या पालन करने वाले के चरित्र पर ऊँगली उठाना शुरू कर दो |  "

    आप अक्सर देखेंगे कि जब राजनीति होती है तो इस घटिया पैंतरे का इस्तेमाल होता है , और राजनीति से मेरा अर्थ सिर्फ देश की राजनीति से नहीं है बल्कि हर संभव राजनीति से है फिर चाहे वो कार्यालय की राजनीति हो या फिर धर्म को ऊँचा और नीचा दिखाने की राजनीति या फिर रिश्तेदार के बीच की राजनीति |

अब ये पैंतरा आखिर काम कैसे करता है  ?

असल में मनुष्य का मस्तिष्क इतना भी बुद्धिमान नहीं है कि सारे निर्णय खुद ले पाए और हमेशा सतर्क रहे | बस इसी बात का फायदा ये राजनीतिक लोग उठाते है , हमारे मन में एक भ्रम पैदा किया जाता है और फिर उस भ्रम को इतना मज़बूत कर दिया जाता है बार बार दोहरा कर कि हम सत्य को पूरी तरह न स्वीकार करते है न ही उसे ठुकरा पाते है और एक संशय की स्तिथि में पहुच जाते है |अब जब भी उस नीति की बात होती है तो हमारा भ्रमित मन खुद से ही प्रश्न करने लगता है और उस नीति पर भरोसा नहीं कर पाता |