साथ तेरे मेरा पहला सावन, बदरा बरसत जाए,
बूँद गिरे जब तन पर तेरे , रूह मेरी जग जाए ।।
सर पर गिरती बूंदे जब , कपड़ो के भीतर रिस जाए,
सिहरे तन मन , भीगी पलके फिर खुलने ना पाए ।।
सर से पग तक तर हूँ जल से , जल फिर भी जी जाए
पल पल बरसत जल बदरा से बस मन की जलन बढाये ।।
होने का एहसास तुम्हारा , मन में कसक जगाये ,
बाहों में भर, कस लो मुझे ऐसे , आज बदन टूट ही जाए ।।
साथ तेरे मेरा पहला सावन, बदरा बरसत जाए ।।
- जिद्दी राजान
बूँद गिरे जब तन पर तेरे , रूह मेरी जग जाए ।।
सर पर गिरती बूंदे जब , कपड़ो के भीतर रिस जाए,
सिहरे तन मन , भीगी पलके फिर खुलने ना पाए ।।
सर से पग तक तर हूँ जल से , जल फिर भी जी जाए
पल पल बरसत जल बदरा से बस मन की जलन बढाये ।।
होने का एहसास तुम्हारा , मन में कसक जगाये ,
बाहों में भर, कस लो मुझे ऐसे , आज बदन टूट ही जाए ।।
साथ तेरे मेरा पहला सावन, बदरा बरसत जाए ।।
- जिद्दी राजान