धागे सा जलता हूँ मैं,
चुप-चाप मोम सी
पिघलती रहती है वो भी !
जहाँ रोशन होता है
इश्क़ के चर्चो से हमारे,
पर गुमनाम अंधेरो में जीता हूँ मैं भी
और वो भी !
इक आखिरी लौ
कर देगी मुझको दफ़्न खुद में
और एक हो जाएंगे हम
ये जानता हूँ मैं भी और
ये जानती है वो भी !
2023
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