राष्ट्रवाद आखिर है क्या ?



राष्ट्रवाद -  ये शब्द  आजकल बहुत  चर्चा में  है और इसकी परिभाषा सभी  के लिए अलग -अलग  है  !
वैसे तो राष्ट्रवाद का सीधा अर्थ है राष्ट्र के हित में की गई बात , पर आइये समझते की कोशिश करते है कि आखिर ये  राष्ट्रवाद है क्या ? 

किसी भी राष्ट्र के हित में सबसे बड़ी चीज़ है उस राष्ट्र का एक होना यानि कि अखंडता , अगर कोई भी बात राष्ट्र को खंड-खंड करने के लिए की जाए तो वो राष्ट्रवाद नहीं हो सकती !

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है राष्ट्र के नियम और कानून, अगर कोई भी बात राष्ट्र के नियमो, कानूनों या इन्हें बनाने या चलाने वाली संस्थाओं के खिलाफ है तो वो बात राष्ट्रवादी नहीं हो सकती ! हालाकि आप व्यक्ति विशेष के खिलाफ प्रदर्शन और आन्दोलन कर सकते है पर न्यायालय और संविधान के खिलाफ स्वर उठाना उचित नहीं है !

ईश्वर ने धरती को देशो में बंटे हुए नहीं बनाया था पर फिर भी राजनीतिक और व्यवहारिक कारणों से देशो का निर्माण हुआ , प्रत्येक देश का कोई न कोई मित्र देश और शत्रु देश होता है, अब अगर आप शत्रु देश का समर्थन करते है तो आप राष्ट्रवादी नहीं हो सकते है ! भारत के सन्दर्भ में देखे तो पाकिस्तान का समर्थन राष्ट्रवाद की परिभाषा से परे है जबकि यह राष्ट्र भारत का हिस्सा हुआ करता था ठीक वैसे ही जैसे कि दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया एक दुसरे के शत्रु देश है जबकि वो कभी एक ही हुआ करते थे !

ये तो हुई मूल परिभाषा , इसमें और भी बहुत कुछ जोड़ा जा सकता है पर इन तीन चीजों को राष्ट्रवाद की सूची से हटाया नहीं जा सकता !
ये वो बाते है जिनको न करने आप देशद्रोही नहीं कहलायेंगे , पर वो कौन सी बाते या कार्य है जिनको करने से आप राष्ट्रवादी कहलायेंगे ? आइये उन्हें भी समझने की कोशिश करते है !

हर राष्ट्र किसी न किसी समय पर कमजोर हुआ करता था , कोई भी राष्ट्र अचानक से मज़बूत नहीं हो जाता है , राष्ट्र को मज़बूत करने में समय लगता है और अगर आप अपने राष्ट्र को मज़बूत बनाने के लिए कोई भी काम कर रहे है तो आप अवश्य ही राष्ट्रवादी है !

हर राष्ट्र में विभिन्न समय पर तूफ़ान , बाढ़ जैसी आपदाएं आती है और अगर आप ऐसे कठिन समय में अपने देश को उबारने का प्रयत्न करते है तो आप राष्ट्रवादी है !

सभी नियम और कानून  संपूर्णतः और  हर स्थिति अनुसार सही नहीं हो सकते  , अगर आप राष्ट्र की अखंडता और एकता को बचाए रखते हुए देश के कानूनो में संसोधन और  आधुनिक समयानुसार कानून बनाने के लिए पक्ष में  प्रदर्शन करते है तो आप राष्ट्रवादी कहलायेंगे !


हर व्यक्ति अलग है और सभी की सोच भी अलग है , ऐसे में देश को जोड़े रखना बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है और ये कार्य सरकारी ढांचा अकेले नहीं कर सकता , अगर आप इस कार्य के लिए जागरूक है और देश को जोड़े रखने में सहायता करते है तो आप राष्ट्रवादी है !

ये था मेरा विचार और मेरे अनुसार  संक्षिप्त रूप में राष्ट्रवाद की परिभाषा , पर आपके विचार से क्या इसमें जुड़ना चाहिए और इसमें से क्या हटना चाहिए इसके बारे में ज़रूर बताये !




- जिद्दी राजन 

1 टिप्पणी:

  1. सर, आपसे अनुरोध हैं की आप राष्ट्रवाद के उदय का इतिहास एक बार जरुर जान ले , और इस प्रश्न का उत्तर खोजे की आखिर क्या कारण हैं की राष्ट्रवाद की जनक यूरोप आज इसको छोड़ रही हैं ?
    भारतीय राष्ट्रवाद पश्चिम के राष्ट्रवाद से कोसो दूर हैं | ये संस्कृति( यानी कार्यव्यवहार के समरूपता और विचार पद्धति के तय सिद्धांत) और सभ्यता आधारित अवधारणा हैं ना की सीमायों से तय जाने वाली राष्ट्रवाद का सममानक | अफज़ल समर्थको का विरोध इसलिए जायज़ हैं क्यूंकि अफज़ल ने इस देश की आम सहमति के प्रतीक स्वरुप संसद पर हमला किया था | अफज़ल समर्थक ऐसे तत्वों को, समाज की एसी शक्तियों का आव्हान चाहते हैं जो की समाज के हर हिस्से में बनी आम सहमति पर हावी हो जाए या फिर आम सहमति बनाने ही ना पाये | आम सहमति से कार्य करना देश की संस्कृति हैं और सभ्यता भी | इसलिए इन सबके कृत्य राष्ट्र विरोधी हैं |

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