हम मेघ हमें जीवन प्यारा
पर बरसा आग भी सकते हैं
रस गीत न तुझको भाता हो
तो प्रलय राग गा सकते हैं
हम उस दधीचि के बेटे हैं
संभव है तुझको याद नहीं
जिसकी हड्डी से वज्र बना
मिलता ऐसा फौलाद कहीं
इस धरती पर हमने अब तक
प्यासा न किसी को लौटाया
यदि रण की तृषा लिए आये हो
तो बुझा उसे भी सकते हैं
हमसे लड़ने को काल चला
तो नभ निचोड़ गंगा लाये
सागर गरजा तो बन अगस्त्य
उसके ज्वारों को पी आये
भूचाल हमारे पैरों में
तूफ़ान बंद है मुट्ठी में
हम शंकर हैं
प्रलयंकर हम
तांडव भी दिखला सकते हैं
मत समझ हमारे हिमगिरि की
कोई शीलता खो देगा
नदियों का पानी पी लेगा
भू की हरियाली खो देगा
भीतर के ज्वालामुखियों की
शायद तुझको पहचान नहीं
हम उबल पड़े तो लावा से
टुन्ड्रा को दफना सकते हैं
- कवि का नाम अज्ञात है , किसी को ज्ञात हो तो बताए
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