चाह नहीं मैं धावक के पैरो में पहना जाऊ,
चाह नहीं मखमली मोज़े पर साजा जाऊं |
चाह नहीं अभिनेता मुझको पहने , फिर इठलाये
या पहन भूटिया ,गेंद को जाल के पार लगाए|
मुझे थमा देना ऐ मोची , उस देशभक्त के हाथ में ,
जो गुस्सा हो नेताओं से और जड़ दे उनके माथ पे |
कसम मात की , ये उपकार कभी ना भूलूंगा,
चाहे उसके बाद किसी गाडी के पीछे झूलूँगा..!!
-ज़िद्दी राजन
(श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचना "पुष्प की अभिलाषा" से प्रेरित )
चाह नहीं मखमली मोज़े पर साजा जाऊं |
चाह नहीं अभिनेता मुझको पहने , फिर इठलाये
या पहन भूटिया ,गेंद को जाल के पार लगाए|
मुझे थमा देना ऐ मोची , उस देशभक्त के हाथ में ,
जो गुस्सा हो नेताओं से और जड़ दे उनके माथ पे |
कसम मात की , ये उपकार कभी ना भूलूंगा,
चाहे उसके बाद किसी गाडी के पीछे झूलूँगा..!!
-ज़िद्दी राजन
(श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचना "पुष्प की अभिलाषा" से प्रेरित )
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