जूते की अभिलाषा !!

चाह नहीं मैं धावक के पैरो  में पहना जाऊ,
चाह नहीं मखमली मोज़े पर साजा जाऊं |

चाह नहीं अभिनेता मुझको पहने , फिर इठलाये
या पहन भूटिया ,गेंद को जाल के पार लगाए|

मुझे थमा देना ऐ मोची , उस देशभक्त के हाथ में ,
जो गुस्सा हो नेताओं से और जड़ दे उनके माथ पे |


कसम मात की , ये  उपकार कभी ना भूलूंगा, 
चाहे उसके बाद किसी गाडी के पीछे झूलूँगा..!!


-ज़िद्दी राजन
(श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचना "पुष्प की अभिलाषा" से प्रेरित )

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