सिन्दूर


भारत में सिन्दूर का इतिहास उतना ही पुराना है , जितना विश्व में सभ्यता का है | शायद आपको यकीन न हो पर हरप्पा सभ्यता के अवशेष और चित्रों में इसे स्त्रियों के माथे पर देखा जा सकता है | पौराणिक कथा के अनुसार इसे पार्वती माँ ने भगवान् शंकर से विवाह के पश्चात अपने माथे पर धारण किया था और तभी से इसकी परम्परा शुरू मानी जाती है |

जब सिन्दूर को हल्दी में मिलाकर बनाया जाता है तो उसे कुमकुम कहते है और पूजा पाठ में इस कुमकुम का प्रयोग शुभ माना जाता है |
विवाह के समय पुरुष अपनी पत्नी की मांग में मंत्रो के उच्चारण के बीच सिन्दूर या कुमकुम को भरता है और इसी क्षण से उस स्त्री को विवाहित माना जाता है |
एक पति अपनी पत्नी को उसके जीवन काल में सिर्फ विवाह के समय ही सिन्दूर मांग में भर सकता है , उसके बाद स्त्री को प्रत्येक दिन सिन्दूर स्वयं ही लगाना होता है |

सोलह श्रृंगारो में सिन्दूर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है और अवश्य ही एक स्त्री को बहुत खूबसूरत बनाता है | अगर आप सुहागिन है तो आप अवश्य ही पहने और इसे पहनने में गर्व करें |

बेंगलुरु की हिंदी यात्रा

मैं बेंगलुरु जाने वाली विमान में बैठा था , विमान की मुख्य कर्मीदल ने सभी घोषणाएं करने के बाद का खाना परोसना शुरू किया | वो सबसे एक एक करके पूछती हुई आने लगी 

" व्हाट वुड यु लाइक टू टेक सर ?"

और सभी लोग अपने स्वादानुसार अपना भोजन बताने लगे , 

कुछ देर बाद वह मेरे पास भी अपनी सेवा भाव की मुस्कराहट ले कर पहुँची और यही सवाल उसने मुझसे भी पुछा 

" व्हाट वुड यु लाइक टू टेक सर ?"

इस पर मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा " हिंदी " 

उसे मेरी बात पहली बार में समझ ही नहीं आई और उसने कहा " आई एम् सॉरी "

मैंने दोहराया " हिंदी क्यों नहीं !! "

ये सुनकर वो थोडा सी दुविधा में पड़ गयी और थोडा सोच कर बोली " बिलकुल , बताइये आप क्या लेंगे ? "

मैंने धन्यवाद करते हुए कहा " समोसा और संतरे का रस "

उसने कहा संतरा नहीं होगा ये पाइन एप्पल और ऑरेंज का होगा , और पाइन एप्पल को हिंदी में क्या कहते है मुझे नहीं पता , तब तक उसे याद आ गया कि पाइन एप्पल को अनानास कहते है और उसने अपनी बात हँसते हुए हिंदी में दोहरा दी |

वो मुझे खाने के सामान थमा रही थी और बोली , वैसे तो हम भी दिन भर घर में हिंदी ही बोलते है पर यहाँ विमान में आने के बाद जबान पर अंग्रेजी ही रहती है |

मेरी जगह से जाने से पहले मुझसे वो मुझसे जिज्ञासा बस पूछ पड़ी कि क्या आप हिंदी के अध्यापक है ?

मुझे ये सुन कर हंसी आ गयी और मैंने कहा नहीं- नहीं  मैं अडोबी में काम करता हूँ , बस हिंदी को प्राथमिकता देना पसंद करता हूँ |

और इसके बाद जब भी वो हिंदी में कोई घोषणा करती तो मेरी तरफ देख कर  मुस्कुरा देती और मेरी मुस्कराहट भी उसे धन्यवाद कर देती |
जाते जाते  उसने मुझसे बड़े ही प्यार से शुक्रिया किया और इस प्रकार मेरी यात्रा का हिंदी समापन हुआ !! :)