वर्षगाँठ की शुभकामनाएँ

दिए-बाती की तरह 
इश्क़ की लौ जलाए रखना।

हर पल ,हर घड़ी 
दिल में जगह बनाए रखना ।

सात फेरो से,
सात जन्मो का नाता है ये,
दोस्त बनकर 
ज़िंदगी में ख़ुशबू बनाए रखना ।

और सबसे ज़रूरी ऐ मेरे दोस्त ,
घर में शांति चाहिए तो,
यूँ ही नज़रे झुकाए रखना !

विवाह के वर्षगाँठ की शुभकामनाएँ ।।

फिर ऐसे क्यूँ चले गए ?

नाचते-थिरकते, झूमते थे तुम,
मन मौजी करते, घूमते थे तुम,
बेबाक़,बातूनी, हरफ़न मौले भी थे,
दयालु, नेकदिल, भोले भी थे!

तुम तो ख़्वाबों से भरे थे,
इस दुनिया की बंदिशो से परे थे,

अभी तो यूपी वाला ठुमका इक और बार देखना बाक़ी था,
अभी तो आसमान में एक और पत्थर फेंकना बाक़ी था 
अभी तो तुम्हारा सितारा बनना बाक़ी था,
अभी तो हमारा कई और बार मिलना बाक़ी था !

फिर ऐसे क्यूँ चले गए ?
शिवम् , तुम ऐसे क्यूँ चले गए !


















सुबह खो गई

जब चेहरे पर मेरे
उसकी निगाह पड़ी थी
आँखे मूँद ,
मैंने भी चैन की सांस भरी थी
एक-दो पल को
सुकून बड़ा आया था
शीतल स्पर्श से उसके
हृदय लहू दुगना लाया था !
अब याद नहीं आखिर
उसको कब देखा था,
जो हर दिन का साथी था
वो अब जैसे अनदेखा था !
हर रात, एक ही बात
ठान कर मैं सोता हूँ
कल फिर देखूँगा उसको
यह सोच विकल होता हूँ
पर कहाँ कोई
आलस की बाधा तोड सका है
नींद में सोया - स्वप्न में खोया
कहाँ सफलता जोड़ सका है
सुबह खो गई मेरी
और दुश्मन रात हुई
नौ-दस से पहले कहाँ
मेरे दिन की शुरुआत हुई है !
न जाने उगता सूरज
अब कब देख सकूंगा
 शीतल स्पर्श को
अपने तन से
अब कब भेदूंगा
बस याद है
जब चेहरे पर मेरे
उसकी निगाह पड़ी थी
आँखे मूँद ,
मैंने भी चैन की सांस भरी थी !