फिर ऐसे क्यूँ चले गए ?

नाचते-थिरकते, झूमते थे तुम,
मन मौजी करते, घूमते थे तुम,
बेबाक़,बातूनी, हरफ़न मौले भी थे,
दयालु, नेकदिल, भोले भी थे!

तुम तो ख़्वाबों से भरे थे,
इस दुनिया की बंदिशो से परे थे,

अभी तो यूपी वाला ठुमका इक और बार देखना बाक़ी था,
अभी तो आसमान में एक और पत्थर फेंकना बाक़ी था 
अभी तो तुम्हारा सितारा बनना बाक़ी था,
अभी तो हमारा कई और बार मिलना बाक़ी था !

फिर ऐसे क्यूँ चले गए ?
शिवम् , तुम ऐसे क्यूँ चले गए !


















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