चन्द्रयान का विक्रम

चन्द्रयान का विक्रम 

टकटकी लगाए, पलके जमाए
पूरा भारत पहुँचा था,
चन्द्रयान के विक्रम से 
जन-जन मस्तक ऊँचा था ।

जहाँ सूर्य की किरणो को भी 
कठिनाई होती है जाने में 
वो अछूता चंद्रभाग है
इसरो के निशाने पे !

माना कि अंतिम लक्ष्य चूक गया
पर जो मिला उसे कैसे तू भूल गया

अब तो जन-जन के मन में 
प्रज्ञान ने मार्ग प्रसस्त किया है 
भावी पीढ़ी ने  
अंतरिक्ष को अपना करने का दृढ़ संकल्प लिया है ।

अपनी राह स्वयं रचने वाले को 
 बाधाओ से कहाँ मुक्ति है 
पर निडर निर्भीक भ्रमर की
 चाल कहाँ रूकती है।

उठो, बढ़ो, रुको नहीं - ये है मत अपना 
चाँद क्या ! अब अंतरिक्ष का हर छोर है भारत का सपना !

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