इश्क


इज़हार - ऐ - इश्क करते है

वो अब हमारी कब्र पे आकर

पहले तो नज़रें मिलतें ही मुह फेर लेते थे


बदल लेते थे राहें

हमे राहो में देख कर

अब तो हर राह पर हमारा इंतज़ार करतें हैं ।


नज़रें झुक जाती थी

दीदार होने पे हमसे

अब पलके बिछा के हमारी तस्वीर देखा करतें हैं ।




--जिद्दी राज़न

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