मेरा गुस्सा

मेरा गुस्सा  ,
घमण्ड , गुरूर ,
सब टूट जाता है  तुम्हे देख कर  !

पर कैसे भूल जाऊं कि
तुम्हारी आँखों में
अब मेरा इंतज़ार नहीं ,

और कैसे भूल जाऊ
कि तुम्हे मुझसे प्यार नहीं !

तुम नहीं बोलोगी , मैं नहीं बोलूँगा



तुम नही बोलोगी, मै नही बोलूगा
मै नही बोलूगा , तुम नही बोलोगी ।
और टूट जायेंगे हमारे वादे, हमारे सपने , हमारे रिश्ते ,
और रह जायेंगे , हमारे किस्से हमारी बाते , करवट बदलती राते ।

तुम नहीं बोलोगी , मैं नहीं बोलूँगा
मैं नहीं बोलूँगा , तुम नहीं बोलोगी
और थम जायेंगी हमारी मुस्कुराहटें , हमारी चाहतें और दिल की धडकने
और आ जायेगी आँखों में नफरतें  और यादो में सलवटे !

तुम नहीं बोलोगी , मैं नहीं बोलूँगा

मैं नहीं बोलूँगा , तुम नहीं बोलोगी ..

इतना प्यार !!



तुम्हारी आँखे खूबसूरत बहुत है ,
पर अगर नही भी होती ,
तो भी मैं तुम से इतना ही प्यार करता |

बाते तुम्हारी दिन बना देती है ,
पर अगर दिन बिगाड़ भी देती ,
तो भी मैं तुम से इतना ही प्यार करता |

हम साथ अच्छे लगते है  ,
ये मैं नहीं ,  सभी कहते है  ,
पर अगर हम बुरे भी लगते
तो भी मैं तुम से इतना ही प्यार करता |

हम अलग हुए , तुम चली गयी,
पर मुझे देख कर तुम रुक भी जाती ,
तो भी मैं तुम से इतना ही प्यार करता |

तृप्ति





दृश्य – एक
(  एक लड़की दाहिनी ओर से  दिख रही है जो कि कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही है , अपना एटीएम् कार्ड निकाल कर कुछ पैसा ऑनलाइन पेमेंट कर रही है ,
और फिर मोबाइल निकाल कर संतोष का नंबर मिलाती है ,  फिर अपने कान और कंधे के बीच फोन रख के फ़ोन उठने का इंतज़ार करती है   )
संतोष - हां ..बोलो ..
तृप्ति  - अरे सुनो , तुम्हारा दिवाली बोनस आने वाले था ,  आ गया क्या ?
संतोष  - क्यों ? मेरे घरवालो को किडनैप करवा के फिरौती मांगनी है क्या ?
तृप्ति – ना , तुम्हारा बैंक खाता लूटना है !! J  अच्छा सुनो मैंने तुम्हे एक लिंक फेसबुक पर मेसेज किया है ज़रा देखना तो ?
संतोष - क्या क्या भेजती रहती हो यार तुम मुझे ,
तृप्ति – अरे बहुत अच्छी चीज़ है , मुझे आज ही पता चली है  जल्दी से देखो तो ..
संतोष - ठीक है मेरी माँ ..मैं घर जा कर देखता हूँ , अभी रास्ते में हूँ..रखता हूँ !
तृप्ति  ( फोन को देखते हुए ) - पागल है ये लड़का..
( तृप्ति फ़ोन रखती है , और संतोष भी फ़ोन रख कर चला जाता है )





दृश्य – दो
( संतोष घर का दरवाजा खोल कर अन्दर आता ही है कि तृप्ति का फ़ोन आने लगता है , संतोष फ़ोन काट के बिस्तर पर कूद जाता है, लैपटॉप खोलता है और मेसेज करता है कि देख रहा हूँ ..)
संतोष ( सोचते हुए ) – क्या क्या भेजती रहती है ये पगली ..
( और वेबसाइट देखना शुरू करता है , अचानक उसे डोमिनोज का प्रचार दिखता है ..एक के साथ एक मुफ्त  और तीस मिनट में ना पहुँचने पर दोनों मुफ्त.. ये देख कर खुश होता है और जल्दी से पिज़्ज़ा माँगा लेता है और तीस मिनट का काउंटडाउन लगा के नहाने चला जाता है  )
नहा के आता है और दस मिनट काउंटडाउन देखता है और खुश हो जाता है , फटाफट देख कर खुश हो जाता है और जैसे ही एक मिनट बचता है घंटी बजती है और वो दुखी हो कर दरवाजा खोलता है पिज़्ज़ा लेता है , बिल पर हस्ताक्षर कर के दे देता है



दृश्य – तीन
और उसके बाद खुश हो के पूरा पिज़्ज़ा अकेले  खाता है आखिरी टुकड़ा खाते ही कहता है
संतोष – साले ये पिज़्ज़ा वाले ठग हो गए है, दाम वही रखते है पिज़्ज़ा छोटा करते जा रहे है ,साला पेट नहीं भरा .. चल कुछ घर में ही जुगाड़ करते  है संतोष भाई !
( फिर फटा फटा दो मैगी बनाता है और खाता है  , मैगी की आखिरी चम्मच खाता है और फिर बोलता है  )
संतोष - आज लगता है मैगी से भी काम नहीं चलेग  , दो मैगी खा ली फिर भी साला पेट नहीं भरा . चलो कुछ बाहर खा के आता हूँ |
( संतोष मोटरसाइकिल उठा के खाने जाता है , और बाहर खा के आता है और सोचता है भाई पेट नही भर रहा है  पर अब जा सो जाता हूँ सुबह अपने आप सब ठीक हो जाएगा और ये सोच सोने चले जाता है |


दृश्य चार
संतोष  ( अपने दोस्त से ) - भाई मैंने आज शाम से पिज़्ज़ा खा लिया , मैगी खाली , ब्रेड-माखन खा लिया पर साला पेट नहीं भर रहा है , बता यार ऐसा क्या खाऊ जिससे पेट भर जाए ?
दोस्त  - भाई मेरा दिमाग खा ले पेट भर जाएगा , भाई परेशान मत कर , पढने दे यार !!
संतोष - यार तू समझ नहीं रहा है !

( संतोष वहाँ से चला जाता है )


दृश्य – पाँच 
सोते हुए अचानाक से उसकी आँख खुलती है , और वो ऊपर नीचे देखते है और बोलता है बिना कुछ खाए काम नहीं चलेगा और लेटे लेटे ही डोमिनोज फ़ोन करता है और कुछ खाने के लिए फ़ोन करता है तो आवाज़ आती है
“ रात ग्यारह बजे के बाद पिज़्ज़ा नहीं मिल सकता है , असुविधा के लिए खेद है ”
और  गुस्से में फ़ोन काटता है और फ्रिज से ब्रेड निकाल कर चिढ़ते हुए खाता है और गलती से अपनी जीभ काट लेता है और परेशान हो जाता है कहता है
संतोष - साला खाना खा खा कर मुंह दर्द करने लगा , साला पेट नहीं भर रहा है !
और गुस्से में एक पाकेट बिस्कुट निकलता है और खाने के बिस्तर पर कूद जाता है और उसकी नज़र झुकी हुयी लैपटॉप का स्क्रीन ऊपर करता है और उलटी नज़र से देखता है ..
SHARE A BYTE , FEEL SATISFIED . ” Just food cannot fulfil your hunger.
वो ये पढता है  ,  झट पलट कर देखता है और कहता है
संतोष - ओह भाई ( जल्दी से अपनी जेब से कार्ड निकालता है और पैसे ट्रान्सफर करता है  )

फिर बिस्कुट उठाता पर पर उसकी भूख तृप्त हो जाती है तो वह बिस्कुट छोड़ देता है  और बत्ती बंद कर सो जाता है !

हिंदी का सरकारी हाल

जब भी मैं कोई वेबसाइट खोलता हूँ तो वो अक्सर अंग्रेजी भाषा में ही खुलती है ( मेरे फेसबुक और जीमेल के अलावा ) :P !!

वैसे मुझे निजी वेबसाइटों से ज्यादा मतलब नहीं है और उन पर मेरा अधिकार भी नहीं है , पर हमारे देश की भी सभी सरकारी वेबसाइटे अंग्रेजी में ही खुलती है  और इससे मुझे थोड़ी समस्या है , क्युकि हमारे देश की राजभाषा हिंदी है और सहचर भाषा के रूप में ही अंग्रेजी को मान्यता है ! इसलिए मेरा मानना ये है कि सभी सरकारी वेबसाइट मूलतः हिंदी में खुलनी चाहिए और फिर उन्हें अंग्रेजी या अन्य भारतीय भाषाओं में खोलने का विकल्प होना चाहिए |

वैकल्पिक तौर पर कुछ सरकारी वेबसाइटों को आप हिंदी में देख सकते है , पर उसका उनका हाल इतना बुरा होता है कि अगर टीम बर्नर ली को पता चल जाए तो वेबसाइट के आविष्कार को अपनी जुर्म मान कर प्राण त्याग देंगे ! वैसे उदहारण के तौर पर आप राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की वेबसाइट देख सकते है , जो हिंदी शीर्षक रख कर अंग्रेजी में लिखती है , आधे से ज्यादा  सूची ( मेनू ) अंग्रेजी में ही है |



 http://www.nic.in/hi/node/41 ( २० जुलाई २०१४ )
यही सब बेहाल देख कर प्रश्न ले कर मैं सूचना के अधिकार के माध्यम से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र पहुँच गया |

१ . क्या ऐसा कोई प्रावधान है जिसके कारण सभी वेबसाइट अंग्रेजी में ही खुलती है , अगर है तो कृपया उसका आदेश पत्र दे |

२. क्या आप मुझे उन सभी वेबसाइटों के नाम दे सकते है जो आपके द्वारा बनायीं गयी है और संचालित की जाती है ? साथ ही मुझे यह भी सूचना दे कि वह सभी वेबसाइट कौन कौन सी भाषा में उपलब्ध है

३. क्या आप मुझे उन सभी प्रमाण - पत्रों ( कार्डो ) की सूची दे सकते है जिन्हें आपका केंद्र बनाता है , और वह सभी किन भाषाओं में उपलब्ध है |

4. क्या आपके केंद्र को अंग्रेजी में बनी वेबसाइटों का स्वदेशी भाषो में अनुवाद करने के लिए अलग से पैसा मिलता है , अगर हां तो कृपया उन धन राशि और उसके खर्च के बारे में जानकारी दे |

मेरे इन चार प्रश्नों का बड़ी  ही सरलता से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने जवाब दिया ,
उनके उत्तर की प्रतिलिपि संलग्न है कृपया पढ़े और ठहाको से अपने रविवार को और मजेदार बनाए !! :D :D :D



हो सकता है के मेरे प्रश्नों की संरचना के कारण उन्हें प्रश्नों के घूमे हुए उत्तर देने का अवसर मिल गया हो पर बकरे की माँ कब तक खैर मानाएगी !  वैसे अगली कार्यवाही मैंने तय कर ली है , और आप सभी तैयार रहे सभी सरकारी वेबसाइटों को हिंदी में देखने के लिए !!

सिन्दूर


भारत में सिन्दूर का इतिहास उतना ही पुराना है , जितना विश्व में सभ्यता का है | शायद आपको यकीन न हो पर हरप्पा सभ्यता के अवशेष और चित्रों में इसे स्त्रियों के माथे पर देखा जा सकता है | पौराणिक कथा के अनुसार इसे पार्वती माँ ने भगवान् शंकर से विवाह के पश्चात अपने माथे पर धारण किया था और तभी से इसकी परम्परा शुरू मानी जाती है |

जब सिन्दूर को हल्दी में मिलाकर बनाया जाता है तो उसे कुमकुम कहते है और पूजा पाठ में इस कुमकुम का प्रयोग शुभ माना जाता है |
विवाह के समय पुरुष अपनी पत्नी की मांग में मंत्रो के उच्चारण के बीच सिन्दूर या कुमकुम को भरता है और इसी क्षण से उस स्त्री को विवाहित माना जाता है |
एक पति अपनी पत्नी को उसके जीवन काल में सिर्फ विवाह के समय ही सिन्दूर मांग में भर सकता है , उसके बाद स्त्री को प्रत्येक दिन सिन्दूर स्वयं ही लगाना होता है |

सोलह श्रृंगारो में सिन्दूर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है और अवश्य ही एक स्त्री को बहुत खूबसूरत बनाता है | अगर आप सुहागिन है तो आप अवश्य ही पहने और इसे पहनने में गर्व करें |

बेंगलुरु की हिंदी यात्रा

मैं बेंगलुरु जाने वाली विमान में बैठा था , विमान की मुख्य कर्मीदल ने सभी घोषणाएं करने के बाद का खाना परोसना शुरू किया | वो सबसे एक एक करके पूछती हुई आने लगी 

" व्हाट वुड यु लाइक टू टेक सर ?"

और सभी लोग अपने स्वादानुसार अपना भोजन बताने लगे , 

कुछ देर बाद वह मेरे पास भी अपनी सेवा भाव की मुस्कराहट ले कर पहुँची और यही सवाल उसने मुझसे भी पुछा 

" व्हाट वुड यु लाइक टू टेक सर ?"

इस पर मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा " हिंदी " 

उसे मेरी बात पहली बार में समझ ही नहीं आई और उसने कहा " आई एम् सॉरी "

मैंने दोहराया " हिंदी क्यों नहीं !! "

ये सुनकर वो थोडा सी दुविधा में पड़ गयी और थोडा सोच कर बोली " बिलकुल , बताइये आप क्या लेंगे ? "

मैंने धन्यवाद करते हुए कहा " समोसा और संतरे का रस "

उसने कहा संतरा नहीं होगा ये पाइन एप्पल और ऑरेंज का होगा , और पाइन एप्पल को हिंदी में क्या कहते है मुझे नहीं पता , तब तक उसे याद आ गया कि पाइन एप्पल को अनानास कहते है और उसने अपनी बात हँसते हुए हिंदी में दोहरा दी |

वो मुझे खाने के सामान थमा रही थी और बोली , वैसे तो हम भी दिन भर घर में हिंदी ही बोलते है पर यहाँ विमान में आने के बाद जबान पर अंग्रेजी ही रहती है |

मेरी जगह से जाने से पहले मुझसे वो मुझसे जिज्ञासा बस पूछ पड़ी कि क्या आप हिंदी के अध्यापक है ?

मुझे ये सुन कर हंसी आ गयी और मैंने कहा नहीं- नहीं  मैं अडोबी में काम करता हूँ , बस हिंदी को प्राथमिकता देना पसंद करता हूँ |

और इसके बाद जब भी वो हिंदी में कोई घोषणा करती तो मेरी तरफ देख कर  मुस्कुरा देती और मेरी मुस्कराहट भी उसे धन्यवाद कर देती |
जाते जाते  उसने मुझसे बड़े ही प्यार से शुक्रिया किया और इस प्रकार मेरी यात्रा का हिंदी समापन हुआ !! :) 

एक घटिया पैंतरा

किसी अज्ञात महापुरुष ने कहा था

 " जब आप किसी की नीतियों को कमजोर नहीं कर पाओ ,
             तो उस नीति बनाने वाले  या पालन करने वाले के चरित्र पर ऊँगली उठाना शुरू कर दो |  "

    आप अक्सर देखेंगे कि जब राजनीति होती है तो इस घटिया पैंतरे का इस्तेमाल होता है , और राजनीति से मेरा अर्थ सिर्फ देश की राजनीति से नहीं है बल्कि हर संभव राजनीति से है फिर चाहे वो कार्यालय की राजनीति हो या फिर धर्म को ऊँचा और नीचा दिखाने की राजनीति या फिर रिश्तेदार के बीच की राजनीति |

अब ये पैंतरा आखिर काम कैसे करता है  ?

असल में मनुष्य का मस्तिष्क इतना भी बुद्धिमान नहीं है कि सारे निर्णय खुद ले पाए और हमेशा सतर्क रहे | बस इसी बात का फायदा ये राजनीतिक लोग उठाते है , हमारे मन में एक भ्रम पैदा किया जाता है और फिर उस भ्रम को इतना मज़बूत कर दिया जाता है बार बार दोहरा कर कि हम सत्य को पूरी तरह न स्वीकार करते है न ही उसे ठुकरा पाते है और एक संशय की स्तिथि में पहुच जाते है |अब जब भी उस नीति की बात होती है तो हमारा भ्रमित मन खुद से ही प्रश्न करने लगता है और उस नीति पर भरोसा नहीं कर पाता |

व्रत उपवास

सुप्रभात !!
आइये आज आपको हम जगाते है , पसंद आये तो अपने दोस्तों को भी जगाइयेगा |

व्रत का अर्थ है प्रतिज्ञा और उपवास का अर्थ है भूखा रहना |

अगर आप सप्ताह में एक दिन उपवास रखने का व्रत करते है  तो इसका अर्थ है साल भर में लगभग साठ दिन खाना नहीं खाते
और अगर एक मनुष्य सत्तर साल की उम्र तक जिंदा रहता है और पच्चीस वर्ष की उम्र से उपवास रखना शुरू करता है तो अपने जीवन काल में तीन हज़ार दिन खाना नहीं खाता | मतलब की नौ हज़ार थाली खाना बचता है और ये खाना न जाने कितने भूखे लोगो के पेट को भर सकता है |

ये तो हुआ सामाजिक फायदा , वैसे उपवास का एक वैज्ञानिक फायदा भी है अगर आप एक दिन भोजन नहीं करते तो आपका पेट एक दिन शांत रहता है लेकिन वैज्ञानिक तौर पर आपको निराजल उपवास नहीं रखना चाहिए क्युकि पेट अपना रसायन हर हाल में छोड़ता है जो की खाली पेट को नुक्सान पहुचाता है  | इसलिए आपको फल खाना चाहिए , फल रेशेदार होता है जो की आपके पाचन तंत्र के लिए काफी फायदे मंद होता है |

अब ये तो हुआ वैज्ञानिक फायदा , वैसे उपवास का एक बौद्धिक फायदा भी है| जब आप एक नियम का पालन करते है , जो कि सप्ताह में एक उपवास रखने का नियम है , तो  आप दृढ निश्चय रखने और इच्छा शक्ति मज़बूत रखने का करतब सीखते है और ये एक व्यायाम के तौर पर होता है  |

ये तो था बौद्धिक फायदा , वैसे एक अध्यात्मिक फायदा भी है ,हर सप्ताह भगवान् के नाम पर उपवास करने से ईश्वर पर विश्वास बढ़ता है और सकारात्मकता की तरफ आप केन्द्रित होते रहते है और ये आपके भीतर ऊर्जा बनाए रखता है |

अब आखिरी दो फायदे , पहला ये कि अगर भगवान् ने आपके उपवास से खुश हो कर आपको वरदान दे दिया तो आपकी ज़िन्दगी बन जायेगी और दूसरा कि आपको नहाने के लिए होली का  इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा | :P

मैं भी , वो भी




इश्क़ की आग में 
धागे सा जलता हूँ मैं, 
चुप-चाप मोम सी 
    पिघलती रहती है वो भी !

     जहाँ रोशन होता है
    इश्क़ के चर्चो से हमारे,  
    पर गुमनाम अंधेरो में जीता हूँ मैं भी 
    और वो भी ! 

    इक आखिरी लौ
    कर देगी मुझको दफ़्न खुद में 
    और एक हो जाएंगे हम 
    ये जानता हूँ मैं भी और
    ये जानती है वो भी !
 
 2023