ख्याली पुलाव 1 - 62 लोगो के पास आधी दुनिया भर का धन !
एक शोध से पता चला है कि विश्व के सबसे अमीर 62 लोगो के पास इतना धन है जितना आधी दुनिया के पास है और दूसरी तरफ हर दस सेकंड में एक बच्चा भूख या उससे जुडी समस्याओं के कारण मारा जाता है !
कितना अजीब है न ? किसी के पास इतना असीम धन और किसी के पास अपने बच्चे का पेट भरने भर के भी नहीं !
खैर , ख्याली पुलाव पकाते समय मुझे ख्याल आया कि अगर एक सीमा से अधिक अमीर होने पर व्यक्ति से उसका धन ले लिया जाय और गरीबो में बाँट दिया जाए तो समस्या का समाधान हो जाएगा , पर ऐसा करने से उस अमीर व्यक्ति के काम करने की आकांक्षा ख़त्म हो जाएगी और विश्व का विकास रुक सकता है , नए लोगो को नौकरी नहीं मिलेगी और समस्या ज्यादा गंभीर हो जाएगी !
वैसे मेरे दिमाग में दूस्र्रा पुलाव भी पका जहाँ मैंने सोचा कि क्यों न ऐसा नियम हो जिसमे कि व्यक्ति अधिकतम सौ करोड़ का धन अर्जित कर सकता है इससे ऊपर के धन के लिए उस व्यक्ति को सरकार से अनुमति लेनी होगी जिसके लिए उसे स्वयं भोजन और स्वस्थ से जुडी समाजसेवा करनी होगी अगर व्यक्ति 100 करोड़ रुपये की समाज सेवा दो वर्ष के लिए करता है तो उसके धन अर्जित करने की सीमा बीस प्रतिशत बढ़ जाए यानि कि अब वह व्यक्ति 120 करोड़ रुपये रख सकता है और ऐसा धीरे धीरे करने से समाज की समस्याएं भी ख़त्म हो जायेगी और धन कमाने का रास्ता भी खुला रहेगा !
खैर ये पुलाव था , स्वाद तो आया पर पेट नहीं भरा !
कितना अजीब है न ? किसी के पास इतना असीम धन और किसी के पास अपने बच्चे का पेट भरने भर के भी नहीं !
खैर , ख्याली पुलाव पकाते समय मुझे ख्याल आया कि अगर एक सीमा से अधिक अमीर होने पर व्यक्ति से उसका धन ले लिया जाय और गरीबो में बाँट दिया जाए तो समस्या का समाधान हो जाएगा , पर ऐसा करने से उस अमीर व्यक्ति के काम करने की आकांक्षा ख़त्म हो जाएगी और विश्व का विकास रुक सकता है , नए लोगो को नौकरी नहीं मिलेगी और समस्या ज्यादा गंभीर हो जाएगी !
वैसे मेरे दिमाग में दूस्र्रा पुलाव भी पका जहाँ मैंने सोचा कि क्यों न ऐसा नियम हो जिसमे कि व्यक्ति अधिकतम सौ करोड़ का धन अर्जित कर सकता है इससे ऊपर के धन के लिए उस व्यक्ति को सरकार से अनुमति लेनी होगी जिसके लिए उसे स्वयं भोजन और स्वस्थ से जुडी समाजसेवा करनी होगी अगर व्यक्ति 100 करोड़ रुपये की समाज सेवा दो वर्ष के लिए करता है तो उसके धन अर्जित करने की सीमा बीस प्रतिशत बढ़ जाए यानि कि अब वह व्यक्ति 120 करोड़ रुपये रख सकता है और ऐसा धीरे धीरे करने से समाज की समस्याएं भी ख़त्म हो जायेगी और धन कमाने का रास्ता भी खुला रहेगा !
खैर ये पुलाव था , स्वाद तो आया पर पेट नहीं भरा !
"हरामखोर" लोग !
खुद को इन्सान कहते है
"हरामखोर" लोग !
जान ले कर बेजुबान की ,
बड़े बलवान बनते है
"हरामखोर" लोग !
आंसु देख कर भावुक होतेै,
खून चख कर संवेदना-मान बनते है ,
"हरामखोर" लोग !
खुद की ऊँगली कट जाए तो हल्ला,
पर गर्दन काट के दयावान बनते है
"हरामखोर" लोग !
कभी ताकत , कभी कुदरत का तर्क देते ,
बुद्धि जीभ पर रखकर विद्वान बनते है
"हरामखोर" लोग !
खुद को इन्सान कहते है
"हरामखोर" लोग !
जान ले कर बेजुबान की ,
बड़े बलवान बनते है
"हरामखोर" लोग !
इस बार बज़ट हिंदी में , क्युकि टैक्स सिर्फ अमीर आदमी नहीं देता !
भारत में बज़ट हर किसी के लिए ज़रूरी है क्युकि इस देश में हर कोई कर यानि की टैक्स दे रहा है , फिर वो चाहे सामान पर हो या आय पर ! अगर ये सबके लिए ज़रूरी है है तो ये उस भाषा में होना चाहिए जिसे ज्यादा से ज्यादा लोग समझ पाए और जैसा कि हम जानते है कि हिंदी जानने वालो कि संख्या अंग्रेजी जानने वालो से पांच गुना ज्यादा है , वैसे भारत में लगभग हर व्यक्ति बोल पाए न पाए पर हिंदी समझ जरूर लेता है !
जब हिंदी की इतनी बड़ी पहुँच है तो फिर अंग्रेजी में भाषण क्यो ? क्या ये सिर्फ अमीरों के लिए है या ऊँचे दर्जे के लोगो के लिए है ? अगर नहीं तो क्यों नहीं इस बार बज़ट का भाषण हिंदी में हो ?
श्री जेटली जी स्वयं अच्छी हिंदी बोलते है तो फिर समस्या क्या है ? बोलने वाले को अच्छे से आती है , सुनने वाले को आती है तो फिर लाभ क्यों नहीं लिया जा रहा है ?
इस बार आप भी मांग करिए, पत्र लिखिए इस बात को अपने मित्रो तक ले जाइए और इस बार एक छोटा सा बदलाव कीजिये !
कीकू शारदा की गिरफ्तारी , फिर बाबाओ को गाली !
कीकू शारदा जिन्होंने पूरे देश के लोगो को हँसा हँसा के अपना बना लिया है और दूसरी तरफ बाबा राम रहीम ,जिन्हें उनके भक्तो के अलावा कोई सही से जानता भी नहीं ! एक नाचते, गाते, फिल्मो में अभिनय करते साधू जिसे लोग समझ नहीं पाते है कि ये साधू है या अपने शौक पूरे कर रहे है !
खैर किसी कार्यक्रम में कीकू ने बाबा राम रहीम का रूप धारण कर लिया और कुछ ऐसी चीज़े कर दी जो बाबा के भक्तो की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है , उन्ही भक्तो में से किसी ने केस भी कर दिया और कीकू गिरफ्तार हो गए ! हालाकि शाम होते है किकू छूट भी गए, उन्होंने अपनी गलती की माफ़ी भी मांग ली और बाबा राम रहीम ने उन्हें माफ़ भी कर दिया पर जनता इतनी आसानी से माफ़ कहाँ करती है !
जनता ने बाबा राम रहीम को खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया , फेसबुक और ट्विटर पर बाबा के बारे में इतना लिखा गया कि विश्व का पूरा प्रसाशन भी लग जाए तो भी सबकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है !
खैर सोचने वाली बात ये है कि हम सीधे सीधे कीकू शारदा से जुड़े है , कहीं न कहीं कीकू हमारे घरो का हिस्सा बन चुके इसलिए इस घटना की खबर सुनते ही हमारे मन में पहला ख्याल बाबा राम रहीम के खिलाफ आया और हमने उनके खिलाफ लिखना शुरू कर दिया ! अब इस कहानी का दूसरा पहलू देखे कि जब बाबा राम रहीम के किसी भक्त ने कीकू को उनका मज़ाक उड़ाते हुए देखा होगा तो उसे भी बहुत दुःख हुआ होगा और उसने कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए एक केस कर दिया , अब इसमें बाबा राम रहीम का क्या दोष ?
खैर इन सब घटनाओं से धर्म और संतो के प्रति हमारी आस्था ख़त्म होती जा रही है , नेताओ की तरह संत भी मज़ाक का पात्र बनते जा रहे है और भावुक जनता फिर बिना सोचे काम किये जा रही है !
सिर्फ राजनेताओ की फोटो क्यों छपती है नोट पर ? क्यों नहीं शहीदों , वैज्ञानिको , समाजसेवको की फोटो छपती है !
हमारे देश में लगभग हर नोट पर गांधी जी की फोटो ही लगी रहती है पर अमेरिका जैसे देश में अलग दाम के नोट पर अलग व्यक्ति की फोटो होती है किसी पर अब्राहम लिंकन है तो किसी पर बेंजामिन फ्रेंक्लिन है !
हालाकि भारत सरकार भी जल्दी ही अन्य राजनेताओ को नोट पर सजाने वाली है , शायद भीमराव अम्बेडकर जी को सबसे पहले स्थान मिले !
वैसे ज्यादातर देशो में उनके राजनेताओ या राजाओ की फोटो होती है और विश्व में ऐसा होना नेताओ का एकाधिकार मालूम होता है पर क्या सच में राजनेताओ या राजा रानी की फोटो होनी चाहिए नोटों पर ?
चलिए समझते है कि किसकी फोटो होनी चाहिए नोट पर ,नोट पर फोटो होने से सिर्फ उस व्यक्ति के प्रति सम्मान ही प्रकट नहीं होता बल्कि उस व्यक्ति के चरित्र से नोट धारक को सीखने का अवसर भी मिलता है , जब बात सम्मान देकर - शिक्षा लेने की है तो परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सेना के जवानो से बेहतर कौन हो सकता है , सोमनाथ सिंह से लेकर विक्रम बत्रा की फोटो छपनी चाहिए नोटों पर जिससे हर भारतीय को अहसास हो राष्ट्रीयता का !
पर यहाँ भी राजनीति होगी , यहाँ भी आरक्षण चलेगा , यहाँ भी क्षेत्रवाद चलेगा , वोट बैंक की राजनीति यहाँ भी होगी , सरकार उस व्यक्ति का फोटो छापेगी नोट पर जिससे आने वाले चुनाव में उसे सीधा फायदा हो न कि उसकी जिससे देश को बल मिले !
फैसला आपके हाथ में आप क्या चाहते है कि इस देश में क्या हो ?
जय हिन्द !!
हिंदी मेरी है पहचान
तुतलाती जुबां में हमने ,
जब अपना मूंह खोला था
"माँ - अम्मा" कह के तब
हिंदी में ही बोला था !
अंग्रेजी स्कूलों में जब
समझ नहीं कुछ आता था ,
तब समझाने की खातिर
हिंदी में बतलाया जाता था !
प्रेमी से मिलकर जब
वापिस हम आया करते थे ,
याद करो तब भी तो हम
हिंदी में ही गाया करते थे !
उत्तर से दक्षिण तक
हिंदी ही तो साथी है ,
बोले न बोले कोई
पर समझ सभी को आती है !
देश से बाहर जाकर जब
लिखा हिंदी में पाया था
बड़े गर्व से उस अँगरेज़ को
मेरी भाषा है,
यह कह के बतलाया था !
देश जोडती , मान बढ़ाती
यही अपनी पहचान है
हिंदी, हिंद की भाषा है
इस पर हम सबको अभिमान है !
अधूरा हूँ अब तक
अधूरा हूँ अब तक,
तुम मुझे पूरा कर देना ,
मुस्कुराहट से अपनी
मेरी ख़ुशियाँ भर देना !
मेरी उड़ान को
हौसला देना आँखों से अपनी ,
हमारे ख़्वाबों को
अपनी चाहतो से गढ़ देना !
अधूरा हूँ अब तक तुम मुझे पूरा कर देना !
तुम मुझे पूरा कर देना ,
मुस्कुराहट से अपनी
मेरी ख़ुशियाँ भर देना !
मेरी उड़ान को
हौसला देना आँखों से अपनी ,
हमारे ख़्वाबों को
अपनी चाहतो से गढ़ देना !
अधूरा हूँ अब तक तुम मुझे पूरा कर देना !
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