मेरे साथ भी नस्लभेद - सच्ची घटना




ओटावा ( कनाडा ) की सबसे खूबसूरत जगह है यहाँ का विशाल संसद भवन, मैं और मेरा मित्र जो कि अमेरिका में रहता है हम दोनों उसी संसद भवन के सामने से गुज़र रहे थे ,धीमी-धीमी बारिश हो रही थी तो हमने अपने फोन और कैमरा बचाने के लिए छाते खोल रखे थे और हम आपस में बात-चीत करते हुए जा रहे थे ।

तभी एक सामने से आती हुई अधेड़ उम्र की औरत ने मेरे मित्र से कुछ अंग्रेजी में कहा, उसकी पूरी बात में सिर्फ "umbrella" ही मुझे समझ आया, मैंने उस औरत से दोबारा कहने के लिए कहा पर उसने बात बदल के पुछा 
"Are you guys from INDIA ?"
मेरा मित्र आगे बढ़ने लगा पर मैंने उस औरत को तुरंत गर्व से जवाब दिया "YES, We are from INDIA" 

उसने थोडा गंभीरता दिखाते हुए बताया
"I have read an article which say that you have got 10 million slaves in your country"

मुझे बहुत अचम्भा हुआ पर मैंने नकारते हुए कहा " No , thats not true !"

उसने कहा "No I have read that in a recent articles and its true"
मैंने भी उसे समझाने का प्रयास करते हुए कहा "It might a be an hoax or may be the data used in the articles was not from a trusted source"

उसने तिलमिलाते हुए कहा "Ohh ! You guys are liar too. No worries "
मुझे लगा शायद उसने 'article' लिखने वाले को कहा होगा इसलिए मैंने उससे पुछा  "Who is liar ?"

खीझते हुए उसने जवाब दिया "You Indians! "
मैं चौंक गया और फिर उस औरत के मुंह को देख कर मैं बहुत जोर-जोर से हंसने लगा 

पीछे से मेरा मित्र आवाज़ दे रहा था "चलो भाई , बहस करके कोई फायदा नहीं है !"

मैं वहां से हँसते हुए चल दिया और अपने मित्र के पास पहुँच कर कहा 
" अजीब औरत है , वैसे उसने पहले क्या कहा था "umbrella" क्या  ?

मेरे मित्र ने बताया कि वो बोल रही थी 
" Do you guys have umbrella in your country ?"

ये सुन के मुझे हंसी भी आई ,उस औरत पर तरस भी आया और मैं सोच में भी पड़ गया 

कनाडा ; जो कि एक खुले दिल वालो का शहर माना जाता है, ऐसी जगह पर नस्लभेद होना अजीब लगा ! मैं लगभग छः देश जा चूका हूँ , मेरा मित्र एक साल से ज्यादा से अमेरिका में रह रहा है पर हम दोनों के साथ ऐसा कभी भी नहीं हुआ 

लेकिन सिर्फ एक पक्ष जानकार कोई नजरिया बना लेना ठीक नहीं है , शायद किसी भारतीय के चक्कर में उस औरत की नौकरी चली गई हो या शायद वो कभी भारत घूमने आई हो और उसके साथ कुछ बुरा हुआ हो या फिर कोई ऐसी घटना जिससे उसके मन में भारतीयो के खिलाफ़ नफरत भर गई हो । कुछ भी हो सकता है क्युकि इतनी नफरत किसी के मन में होना कि कोई राह जाते को रोक कर ऐसा कुछ बोल देना ये अकारण नहीं हो सकता है 

जो भी रहा हो, नस्लभेद का शिकार तो मैं हो ही गया,अब सोचता हूँ कि काश वो औरत दस मिनट और बात करती तो उसके मन कि व्यथा समझ पाता और भारत के प्रति उसकी नफरत को कम कर पाता 
उसकी आसमानी रंग की आँखों की बीच में सफ़ेद पुतलियाँ अभी भी मेरे दिमाग से हट नहीं रही है और उसका तिलमिलाता जवाब मेरे कानो में अभी भी गूँज रहा है 

इस सच्ची घटना को पढ़कर अगर आपके मन में भी कुछ आए तो जरूर बताइयेगा वैसे मैं एक बार फिर कह दूँ कि ये मात्र एक घटना है इससे पूरे कनाडा के प्रति या वहां के लोगो के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदलियेगा , मैं वहां सैकड़ो लोगो से मिला और वहां का हर इंसान मुझसे बहुत ही प्रेम से मिला और मुझे भी उनसे मिल कर बहुत ही ख़ुशी हुई 

राष्ट्रवाद आखिर है क्या ?



राष्ट्रवाद -  ये शब्द  आजकल बहुत  चर्चा में  है और इसकी परिभाषा सभी  के लिए अलग -अलग  है  !
वैसे तो राष्ट्रवाद का सीधा अर्थ है राष्ट्र के हित में की गई बात , पर आइये समझते की कोशिश करते है कि आखिर ये  राष्ट्रवाद है क्या ? 

किसी भी राष्ट्र के हित में सबसे बड़ी चीज़ है उस राष्ट्र का एक होना यानि कि अखंडता , अगर कोई भी बात राष्ट्र को खंड-खंड करने के लिए की जाए तो वो राष्ट्रवाद नहीं हो सकती !

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है राष्ट्र के नियम और कानून, अगर कोई भी बात राष्ट्र के नियमो, कानूनों या इन्हें बनाने या चलाने वाली संस्थाओं के खिलाफ है तो वो बात राष्ट्रवादी नहीं हो सकती ! हालाकि आप व्यक्ति विशेष के खिलाफ प्रदर्शन और आन्दोलन कर सकते है पर न्यायालय और संविधान के खिलाफ स्वर उठाना उचित नहीं है !

ईश्वर ने धरती को देशो में बंटे हुए नहीं बनाया था पर फिर भी राजनीतिक और व्यवहारिक कारणों से देशो का निर्माण हुआ , प्रत्येक देश का कोई न कोई मित्र देश और शत्रु देश होता है, अब अगर आप शत्रु देश का समर्थन करते है तो आप राष्ट्रवादी नहीं हो सकते है ! भारत के सन्दर्भ में देखे तो पाकिस्तान का समर्थन राष्ट्रवाद की परिभाषा से परे है जबकि यह राष्ट्र भारत का हिस्सा हुआ करता था ठीक वैसे ही जैसे कि दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया एक दुसरे के शत्रु देश है जबकि वो कभी एक ही हुआ करते थे !

ये तो हुई मूल परिभाषा , इसमें और भी बहुत कुछ जोड़ा जा सकता है पर इन तीन चीजों को राष्ट्रवाद की सूची से हटाया नहीं जा सकता !
ये वो बाते है जिनको न करने आप देशद्रोही नहीं कहलायेंगे , पर वो कौन सी बाते या कार्य है जिनको करने से आप राष्ट्रवादी कहलायेंगे ? आइये उन्हें भी समझने की कोशिश करते है !

हर राष्ट्र किसी न किसी समय पर कमजोर हुआ करता था , कोई भी राष्ट्र अचानक से मज़बूत नहीं हो जाता है , राष्ट्र को मज़बूत करने में समय लगता है और अगर आप अपने राष्ट्र को मज़बूत बनाने के लिए कोई भी काम कर रहे है तो आप अवश्य ही राष्ट्रवादी है !

हर राष्ट्र में विभिन्न समय पर तूफ़ान , बाढ़ जैसी आपदाएं आती है और अगर आप ऐसे कठिन समय में अपने देश को उबारने का प्रयत्न करते है तो आप राष्ट्रवादी है !

सभी नियम और कानून  संपूर्णतः और  हर स्थिति अनुसार सही नहीं हो सकते  , अगर आप राष्ट्र की अखंडता और एकता को बचाए रखते हुए देश के कानूनो में संसोधन और  आधुनिक समयानुसार कानून बनाने के लिए पक्ष में  प्रदर्शन करते है तो आप राष्ट्रवादी कहलायेंगे !


हर व्यक्ति अलग है और सभी की सोच भी अलग है , ऐसे में देश को जोड़े रखना बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है और ये कार्य सरकारी ढांचा अकेले नहीं कर सकता , अगर आप इस कार्य के लिए जागरूक है और देश को जोड़े रखने में सहायता करते है तो आप राष्ट्रवादी है !

ये था मेरा विचार और मेरे अनुसार  संक्षिप्त रूप में राष्ट्रवाद की परिभाषा , पर आपके विचार से क्या इसमें जुड़ना चाहिए और इसमें से क्या हटना चाहिए इसके बारे में ज़रूर बताये !




- जिद्दी राजन 

इस देश को नेता तुम से अच्छा चाहिए !




स्याही की चार बूँद क्या गिरी 
कि सुरक्षा चाहिए , 
पांच कमरे वाला नहीं ,
बंगला उससे भी अच्छा चाहिए ,
जाति जानकर जनाज़े में जाते हो 
इस देश को नेता तुम से अच्छा चाहिए ! 

ख्याली पुलाव 1 - 62 लोगो के पास आधी दुनिया भर का धन !

एक शोध से पता चला है कि विश्व के सबसे अमीर 62 लोगो के पास इतना धन है जितना आधी दुनिया के पास है और दूसरी तरफ हर दस सेकंड में एक बच्चा भूख या उससे जुडी समस्याओं के कारण मारा जाता है !

कितना अजीब है न ? किसी के पास इतना असीम धन और किसी के पास अपने बच्चे का पेट भरने भर के भी नहीं !

खैर , ख्याली पुलाव पकाते समय मुझे ख्याल आया कि अगर एक सीमा से अधिक अमीर होने पर व्यक्ति से उसका धन ले लिया जाय और गरीबो में बाँट दिया जाए तो समस्या का समाधान हो जाएगा , पर ऐसा करने से उस अमीर व्यक्ति के काम करने की आकांक्षा ख़त्म हो जाएगी और विश्व का विकास रुक सकता है , नए लोगो को नौकरी नहीं मिलेगी और समस्या ज्यादा गंभीर हो जाएगी !

वैसे मेरे दिमाग में दूस्र्रा पुलाव भी पका जहाँ मैंने सोचा कि क्यों न ऐसा नियम हो जिसमे कि व्यक्ति अधिकतम सौ करोड़ का धन अर्जित कर सकता है इससे ऊपर के धन के लिए उस व्यक्ति को सरकार से अनुमति लेनी होगी जिसके लिए उसे स्वयं भोजन और स्वस्थ से जुडी समाजसेवा करनी होगी अगर व्यक्ति 100 करोड़ रुपये की समाज सेवा दो  वर्ष के लिए करता है तो उसके धन अर्जित करने की सीमा बीस प्रतिशत बढ़ जाए यानि कि अब वह व्यक्ति 120 करोड़ रुपये रख सकता है और ऐसा धीरे धीरे करने से समाज की समस्याएं भी ख़त्म हो जायेगी और धन कमाने का रास्ता भी खुला रहेगा !

खैर ये पुलाव था , स्वाद तो आया पर पेट नहीं भरा  !

अच्छाई या बुराई !


"हरामखोर" लोग !


खुद को इन्सान कहते है
"हरामखोर" लोग !

जान ले कर बेजुबान की ,
बड़े बलवान बनते है 
"हरामखोर" लोग !

आंसु देख कर भावुक होतेै,
खून चख कर संवेदना-मान बनते है , 
"हरामखोर" लोग !

खुद की ऊँगली कट जाए तो हल्ला, 
पर गर्दन काट के दयावान बनते है
"हरामखोर" लोग !

कभी ताकत , कभी कुदरत का तर्क देते ,  
बुद्धि जीभ पर रखकर विद्वान बनते है
"हरामखोर" लोग !

खुद को इन्सान कहते है
"हरामखोर" लोग !

जान ले कर बेजुबान की ,
बड़े बलवान बनते है 
"हरामखोर" लोग !

इस बार बज़ट हिंदी में , क्युकि टैक्स सिर्फ अमीर आदमी नहीं देता !



भारत में बज़ट हर किसी के लिए ज़रूरी है क्युकि इस देश में हर कोई कर यानि की टैक्स दे रहा है , फिर वो चाहे सामान पर हो या आय पर ! अगर ये सबके लिए ज़रूरी है है तो ये उस भाषा में होना चाहिए जिसे ज्यादा से ज्यादा लोग समझ पाए और जैसा कि हम जानते है कि हिंदी जानने वालो कि संख्या अंग्रेजी जानने वालो से पांच गुना ज्यादा है , वैसे भारत में लगभग हर व्यक्ति बोल पाए न पाए पर हिंदी समझ जरूर लेता है !

जब हिंदी की इतनी बड़ी पहुँच है तो फिर अंग्रेजी में भाषण क्यो ? क्या ये सिर्फ अमीरों के लिए है या ऊँचे दर्जे के लोगो के लिए है ? अगर नहीं तो क्यों नहीं इस बार बज़ट का भाषण हिंदी में हो ?

श्री जेटली जी स्वयं अच्छी हिंदी बोलते है तो फिर समस्या क्या है ? बोलने वाले को अच्छे से आती है , सुनने वाले को आती है तो फिर लाभ क्यों नहीं लिया जा रहा है ?

इस बार आप भी मांग करिए, पत्र लिखिए इस बात को अपने मित्रो तक ले जाइए और इस बार एक छोटा सा बदलाव कीजिये !





कीकू शारदा की गिरफ्तारी , फिर बाबाओ को गाली !



कीकू शारदा जिन्होंने पूरे देश के लोगो को हँसा हँसा के अपना बना लिया है और दूसरी तरफ बाबा राम रहीम ,जिन्हें उनके भक्तो के अलावा कोई सही से जानता भी नहीं ! एक नाचते, गाते, फिल्मो में अभिनय करते साधू जिसे लोग समझ नहीं पाते है कि ये साधू है या अपने शौक पूरे कर रहे है !

खैर किसी कार्यक्रम में कीकू ने बाबा राम रहीम का रूप धारण कर लिया और कुछ ऐसी चीज़े कर दी जो बाबा के भक्तो की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है , उन्ही भक्तो में से किसी ने केस भी कर दिया और कीकू गिरफ्तार हो गए ! हालाकि शाम होते है किकू छूट भी गए, उन्होंने अपनी गलती की माफ़ी भी मांग ली और बाबा राम रहीम ने उन्हें माफ़ भी कर दिया पर जनता इतनी आसानी से माफ़ कहाँ करती है !

जनता ने बाबा राम रहीम को खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया , फेसबुक और ट्विटर पर बाबा के बारे में इतना लिखा गया कि विश्व का पूरा प्रसाशन भी लग जाए तो भी सबकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है !

खैर सोचने वाली बात ये है कि हम सीधे सीधे कीकू शारदा से जुड़े है , कहीं न कहीं कीकू हमारे घरो का हिस्सा बन चुके इसलिए इस घटना की खबर सुनते ही हमारे मन में पहला ख्याल बाबा राम रहीम के खिलाफ आया और हमने उनके खिलाफ लिखना शुरू कर दिया ! अब इस कहानी का दूसरा पहलू देखे  कि जब बाबा राम रहीम के किसी भक्त ने कीकू को उनका मज़ाक उड़ाते हुए देखा होगा तो उसे भी बहुत दुःख हुआ होगा और उसने कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए एक केस कर दिया , अब इसमें बाबा राम रहीम का क्या दोष ? 

खैर इन सब घटनाओं से धर्म और संतो के प्रति हमारी आस्था ख़त्म होती जा रही है , नेताओ की तरह संत भी मज़ाक का पात्र बनते जा रहे है और भावुक जनता फिर बिना सोचे काम किये जा रही है !















सिर्फ राजनेताओ की फोटो क्यों छपती है नोट पर ? क्यों नहीं शहीदों , वैज्ञानिको , समाजसेवको की फोटो छपती है !



हमारे देश में लगभग हर नोट पर गांधी जी की फोटो ही लगी रहती है पर अमेरिका जैसे देश में अलग दाम के नोट पर अलग व्यक्ति की फोटो होती है किसी पर अब्राहम लिंकन है तो किसी पर बेंजामिन फ्रेंक्लिन है !

हालाकि भारत सरकार भी जल्दी ही अन्य राजनेताओ को नोट पर सजाने वाली है , शायद भीमराव अम्बेडकर जी को सबसे पहले स्थान मिले !


वैसे ज्यादातर देशो में उनके राजनेताओ या राजाओ की फोटो होती है और विश्व में ऐसा होना नेताओ का एकाधिकार मालूम होता है पर क्या सच में राजनेताओ या राजा रानी की फोटो होनी चाहिए नोटों पर ?


चलिए समझते है कि किसकी फोटो होनी चाहिए नोट पर ,नोट पर फोटो होने से सिर्फ उस व्यक्ति के प्रति सम्मान ही प्रकट नहीं होता बल्कि उस व्यक्ति के चरित्र से नोट धारक को सीखने का अवसर भी मिलता है , जब बात सम्मान देकर -  शिक्षा लेने की है तो परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सेना के जवानो से बेहतर कौन हो सकता है , सोमनाथ सिंह से लेकर विक्रम बत्रा की फोटो छपनी चाहिए नोटों पर जिससे हर भारतीय को अहसास हो राष्ट्रीयता का !

पर यहाँ भी राजनीति होगी , यहाँ भी आरक्षण चलेगा , यहाँ भी क्षेत्रवाद चलेगा , वोट बैंक की राजनीति यहाँ भी होगी , सरकार उस व्यक्ति का फोटो छापेगी नोट पर जिससे आने वाले चुनाव में उसे सीधा फायदा हो न कि उसकी जिससे देश को बल मिले !

फैसला आपके हाथ में आप क्या चाहते है कि इस देश में क्या हो ?

जय हिन्द !!







हिंदी मेरी है पहचान

तुतलाती जुबां में हमने ,
जब अपना मूंह खोला था
"माँ - अम्मा" कह के तब
हिंदी में ही बोला था !










अंग्रेजी स्कूलों में जब
समझ नहीं कुछ आता था ,
तब समझाने की खातिर
हिंदी में बतलाया जाता था !

प्रेमी से मिलकर जब
वापिस हम आया करते थे ,
याद करो तब भी तो हम
हिंदी में ही गाया करते थे !

उत्तर से दक्षिण तक
हिंदी ही तो साथी है ,
बोले न बोले कोई
पर समझ सभी को आती है !

देश से बाहर जाकर जब
लिखा हिंदी में पाया था
बड़े गर्व से उस अँगरेज़ को
मेरी भाषा है,
यह कह के बतलाया था !


देश जोडती , मान बढ़ाती
यही अपनी पहचान है
हिंदी, हिंद की भाषा है
इस पर हम सबको अभिमान है !

अधूरा हूँ अब तक

अधूरा हूँ अब तक,

तुम मुझे पूरा कर देना ,

मुस्कुराहट से अपनी 

मेरी ख़ुशियाँ भर देना !



मेरी उड़ान को 

हौसला देना आँखों से अपनी ,

हमारे ख़्वाबों को 

अपनी चाहतो से गढ़ देना !


अधूरा हूँ अब तक तुम मुझे पूरा कर देना !